खान साहब : शिक्षक खान सर ने एबीपी नेटवर्क के ‘आइडियाज ऑफ इंडिया समिट’ में भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने अब तक के सफर, कम पैसों में बच्चों को पढ़ाने, पढ़ाने के नए तरीकों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, हम लगातार पढ़ाई को इतना दिलचस्प बनाने की कोशिश करते हैं कि कोई इससे बच न सके। उन्होंने कहा, जैसे हमने गरीबी को करीब से देखा है, वैसे ही आदमी अपनी पत्नी को नहीं देखता। हालांकि उन दिनों दोस्तों ने भी काफी मदद की।
खान सर ने कहा कि मेरे जीवन का सबसे अच्छा फैसला अंग्रेजी माध्यम से हिंदी माध्यम में जाना था। अगर स्कूलों में हिंदी माध्यम नहीं पढ़ाया जाता तो आज कुछ नहीं होता। शिक्षा में भाषा की बाधा नहीं होनी चाहिए। खान सर ने यह भी कहा कि एक कंपनी ने उन्हें कुल 140 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उस कंपनी में जाते तो गरीब बच्चों को पढ़ाते। जब मैं टीचिंग लाइन में आया तो मुझे लगा कि गरीब से गरीब बच्चा भी अच्छी शिक्षा का सपना देख सकता है और हम उसकी हर संभव मदद करेंगे।
एक किस्सा है कि आपको घर जाना था और टिकट 90 रुपये का था, लेकिन आपके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे, इसलिए आप घर नहीं जा सके, इस सवाल पर खान साहब ने कहा कि मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगा। वह दिन मेरे जीवन का सबसे अजीब दिन था। मेरे दादाजी ने मुझसे कहा था कि सपने और आकांक्षाएं कभी खत्म नहीं होतीं, लेकिन कुछ तो होना चाहिए। इसलिए पहले अपनी जरूरतों को देखें फिर अपने सपनों के लिए आगे बढ़ें।